KUALA LUMPUR, MALAYSIA - Media OutReach (30 June 2023): Speaking at the Asian Venture Philanthropy Network (AVPN) Global Conference in Kuala Lumpur, Malaysia, Belinda Tanoto, Member of the Board of Trustees of the Tanoto Foundation, highlighted the need to further catalyse different kinds of funding to address pressing social needs.
"In developing countries, it is important to mobilize different types of funding from a range of sources to address social problems. This can come from Governments, philanthropic organisations, development agencies or the private sector. Given the relatively limited availability of philanthropic capital, we need to catalyse and attract other types of funding to address social problems".
Belinda was delivering the keynote speech at the recent conference, on the topic 'Philanthropic Organisations' Role in Catalysing Impact Investing'. Held in partnership with Yayasan Hasanah, the foundation of Khazanah Nasional, the Malaysian government's sovereign wealth fund, the AVPN Global Conference 2023 included a dedicated 'Impact Investing Day', which brought together asset managers, investors and philanthropy organizations from around the region.
Ms. Tanoto highlighted the Tanoto Foundation Professorship in Cardiovascular Medicine at the Duke-NUS Medical School in Singapore, saying the professorship, supported by the initial grant by Tanoto Foundation, had become a catalyst to unlock additional investments to help address healthcare needs. "The world needs more of this type of capital – flexible, patient, long term, early stage capital, which is best provided by foundations and philanthropy organizations," she said.
She also spoke about Tanoto Foundation's efforts in the areas of leadership development and early childhood education and development, especially in terms of how the Foundation uses its expertise and resources to bring together stakeholders to work together to address specific challenges, such as stunting.
"In Indonesia, we work closely with both the national government, to advocate for policy reforms and systems change, as well as local governments, to strengthen their capacity to deliver services. We also actively shape the policies and programs to tackle stunting by creating working groups and forums, bringing together different stakeholders – like the World Bank, UNICEF, universities, think tanks, non-profits, corporates, to work together and build the whole field around early childhood education and development," she said.
Separately, the Hasanah Forum, the biggest national social impact conference in Malaysia, was held in partnership with the AVPN Global Conference at the same location. Dr. J. Satrijo Tanudjojo, Global CEO, Tanoto Foundation, was among the speakers on panel discussing 'People & Leadership: Nurturing Courageous Leaders' at the Asian Venture Philanthropy Network (AVPN) Global Conference in Kuala Lumpur, Malaysia this week.
In his remarks on leadership, Dr. J. Satrijo Tanudjojo said: "Courageous leadership is about having the willingness to take risks and make difficult decisions for the greater good. It's also about having a clear vision, inspiring and empowering others, and leading by example. Philanthropy needs courageous leaders who demonstrate action, and have the vision to change systems and include diverse perspectives".
Other speakers on the panel included: Prof. Tan Sri Dr. Jemilah Mahmood, Executive Director, Sunway Centre for Planetary Health, Sunway University Malaysia; Tan Sri Abdul Wahid Omar, Chairman, WWF Malaysia; and Dato' Shahira Ahmed Bazari, Trustee & Managing Director, Yayasan Hasanah.
About Tanoto Foundation: Tanoto Foundation is an independent philanthropic organization in the field of education founded by Sukanto Tanoto and Tinah Bingei Tanoto in 1981 on the belief that every person should have the opportunity to realize his or her full potential. Tanoto Foundation's programs stem from the belief that quality education accelerates equal opportunity. We harness the transformative power of education to realize people's potential and improve life through quality education from an early age to productive age. The issuer is solely responsible for the content of this announcement.
(फिल्म समीक्षा: शीर्षक – 1922 प्रतिकार चौरी चौरा; कलाकार - रवि किशन, अनिल नागरथ, पवन पांडेय, अशोक बनथिए, पार्थ मिश्रा, विकल्प श्रीवास; लेखक - अभिक भानु; निर्देशक - अभिक भानु; निर्माता - अभिक भानु; प्रचारक - संजय भूषण पटियाला; रिलीज़ डेट - 30 जून 2023; रेटिंग - 3/5)
मुंबई, भारत (30 जून 2023) : एक शानदार पीरियड ड्रामा फ़िल्म है 1922 प्रतिकार चौरी चौरा .!
भारतीय सिनेमा में आज़ादी से लेकर अब तक सैकड़ों फिल्में बनी जिनमें आज़ादी की लड़ाई को विभिन्न प्रकार से दिखाया गया । वैसे ही एक घटना भारतीय आज़ादी की लड़ाई के लिए 1922 में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जनपद के चौरी चौरा में लड़ी गई । उसी घटना को केंद्र में रखकर फ़िल्म बनी है 1922 प्रतिकार चौरी चौरा । यह फ़िल्म एक सत्य घटना पर आधारित है और उस घटना ने देश के आज़ादी की लड़ाई को एक अलग ही रुख प्रदान कर दिया था । आज यह फ़िल्म रिलीज़ हुई है और रिलीज़ के साथ ही इस फ़िल्म ने इतिहास के कुछ उन पलों से हमें रूबरू कराया है जिन्हें आजतक के इतिहासकारों ने भुला दिया था । फ़िल्म की भव्यता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हर एक किरदार ने अपने आप को उस पल के हालात में ढालने के लिए सर्वस्व न्योछावर कर दिया है । फ़िल्म की कहानी के केंद्रबिंदु में जालियांवाला बाग हत्याकाण्ड का प्रतिशोध है । उस जघन्य नरसंहार के प्रतिकार के रूप में भारतीय स्वाधीनता संग्राम के सेनानियों ने जो तत्काल उचित समझा उसे ही अपना लक्ष्य बनाकर उसे अंजाम तक कैसे पहुँचाया उसे ही यह फ़िल्म 1922 प्रतिकार चौरी चौरा दर्शाती है । इसीलिए यह आजकल कहा भी जा रहा है कि जब तक अखण्ड भारत का सम्पूर्ण व सत्य इतिहास फिल्मों के माध्यम से आधुनिक समाज के युवापीढ़ी को नहीं दिखाया जायेगा तब तक देश के स्वतंत्रता सेनानियों का वास्तविक संघर्ष आज की युवा पीढ़ी को समझ में नहीं आयेगा | निर्देशक अभिक भानु ने आज़ादी के पूर्व के संघर्षशील इतिहास को बड़े ही संजीदगी और जीवंत तरीके से सिल्वर स्क्रीन पर उतारा है | फिल्म प्रारम्भ से लेकर अंत तक आपको एकसूत्र में बांधे हुए रखती है | फ़िल्म के सम्वाद में आपको पुर्वांचल की झलक मिलती हुई प्रतीत होगी । इस फ़िल्म के माध्यम से आप अपनेआप को गोरखपुर व आसपास के इलाके से जोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ते | ब्रिटश शासनकाल में आम आदमी का जीवन कितना संघर्षशील और चुनौतीभरा था यह फिल्म आसानी से बताने में कामयाब रहती है, साथ ही आज़ादी की क़ुर्बानी कितनी बड़ी और गहरी है इसका अंदाजा लगाने पर आपको विवश करती है |
फ़िल्म में अभिनय कौशल की बात की जाए तो फ़िल्म के केंद्रबिंदु में रवि किशन समेत सभी कलाकारों का अभिनय बेहद प्रभावशाली है। रवि किशन ने अपने इस रूप से यह दिखाया कि पीरियड सिनेमा में भी उनकी उतनी ही पकड़ है जितनी कि आजकल के नए कमर्शियल सिनेमा के चरित्रों पर । रवि किशन फ़िल्म के हर फ्रेम में सटीक बैठते हैं । उनके साथ काम कर रहे बाकी कलाकारों ने भी अपनी अपनी भूमिका को बखूबी निर्वाह किया है । यह फिल्म अपने उद्देश्यों में सफल रहती है | हालाँकि आधुनिक फिल्मों पर यह फिल्म तभी भारी दिखेगी जब दर्शक उसी संजीदगी से फिल्म की कहानी और कलाकारों के अभिनय को देखे और समझे जैसे इतिहास ने संघर्ष किया था | इस फिल्म 1922 प्रतिकार चौरी चौरा के बारें मे यह कहा जा सकता है की फिल्म सभी के उद्देश्यों को पूर्ण करते हुए इतिहास के संघर्ष और आजादी के लिए किये गए बलिदान को दिखाने में कामयाब रही है । और आप जब भी इसे देखने के लिए जाएंगे तो उस पल में आप अपनेआप को इस फ़िल्म से जोड़ लेंगे और किसी किरदार में अपने आपको देखकर लगेगा की आप भी इसके एक किरदार हैं |
सरजू विजन के बैनर तले बनी फ़िल्म 1922 प्रतिकार चौरी चौरा के निर्माता-निर्देशक व लेखक हैं अभिक भानु , फ़िल्म 1922 प्रतिकार चौरी चौरा में मुख्य भूमिक में रवि किशन के साथ ममता जेठवानी ,अनिल नागरथ,अशोक वोटिया,अनुराधा सिंह आदि अन्य कलाकार भी हैं । फ़िल्म में तकनीकी पक्ष की बात की जाए तो आज से 100 साल पहले की घटना को सहज रूप में आज दिखाना कोई साधारण बात तो है नहीं, फिर भी निर्देशक अभिक भानु ने एक बेहतरीन फ़िल्म बनाई है । फ़िल्म की साज सज्जा, सेटअप, ड्रेस डिजाइनिंग, उस समय का परिवेश और उसके हिंसाब से लाइटिंग इफेक्ट देखकर आपको वो दौर याद आने ही लगेगा । पुरानी विरासत को नए कलेवर में दिखाने की भरसक बढ़ियां कोशिश किया है अभिक भानु ने। फ़िल्म में गीत संगीत की बात की जाए तो उस दौर के संगीत में और आज के संगीत में अंतर तो है , इसलिए संगीत के मामले में आपको थोड़ी सी निराशा हो सकती है, लेकिन बैकग्राउंड स्कोर ठीक ठाक बन पड़ा है । फ़िल्म का साउंड इफ़ेक्ट औसत से कुछ बढ़ियां है । कुल मिलाकर इस वीकेंड पर आपको आज़ादी के पहले के उस दौर को देखने और समझने के लिए एक बेहतरीन सिनेमा मिली है । इसे परिवार और दोस्तों के साथ देख सकते हैं ।
(फिल्म समीक्षा: शीर्षक – परस्त्री, निर्माता - शर्मीला पांडे, लेखक - दीपेंद्र के. खनाल, निर्देशन - सूरज पाण्डे, संगीत - केके ब्रदर्स , रिलीज़ डेट - 30 जून 2023, रेटिंग - 3/5)
मुंबई, भारत (30 जून 2023) : इंसानों के इस व्यस्ततम ज़िन्दगी के कई ऐसे पहलू होते हैं जिनसे हर कोई सामंजस्य नहीं बैठा पाता और ऐसे में उस ज़िन्दगी को सुलझाने के चक्कर मे अच्छाई और बुराई में फ़र्क करना ही भूल जाता है, और तब उसे अपराध की दुनिया अपने तरफ़ खींच लेती है । ऐसी ही एक एक्स्ट्रा मैरिटल अफ़ेयर्स और उसके दुष्परिणामों को इंगित करती हुई इरोटिक क्राइम थ्रिलर फिल्म है परस्त्री । भारत मे पर स्त्री गमन या सिंपल भाषा मे ये कहें तो विवाहेत्तर सम्बन्ध किसी भी अन्य पुरुष या महिला के साथ हो जाये तो उसे समाज स्वीकार नहीं करता । यह एक संगीन अपराध है, और इस अपराध की जड़ ने कई घरों को तबाह कर दिया है । ऐसी ही एक कहानी के इर्द-गिर्द ताना-बाना बुनकर फ़िल्म परस्त्री के कथानक को बुना गया है । इस कथा में सस्पेंस , थ्रिल, मर्डर और सेक्स को समान रूप से परोसा गया है । फ़िल्म इंडो-नेपाल में संयुक्त रूप से बनी हुई है ।
डीएस डिजिटल और नेन्दी क्रिएशन के बैनर तले बनी फिल्म परस्त्री की निर्माता हैं शर्मीला पांडे । फिल्म के सह-निर्माता पुष्पराज टी. न्यौपाने हैं । फिल्म के लेखक हैं दीपेंद्र के. खनाल वहीं इस फिल्म का निर्देशन सूरज पाण्डे ने किया है । फ़िल्म हिंदी और नेपाली दोनों ही भाषाओं में बनी है और आज 30 जून को इसे वर्ल्डवाइड 500 थियेटर में एकसाथ रिलीज़ किया गया है जिसमें अकेले भारत भर में ही लगभग 350 थियेटरों में प्रदर्शित किया जा रहा है । फ़िल्म को लेकर युवाओं के बीच ख़ासा क्रेज़ देखने को मिल रहा है । इस इंडो नेपाली इरोटिक क्राइम थ्रिलर फिल्म में भारत और नेपाल दोनों ही देशों के कलाकारों को अहम भूमिकाओं में इस फ़िल्म में चुनाव किया गया है । फिल्म में मुख्य रूप से शिल्पा मास्के, कोशिश छेत्री और गौरव बिष्ट महत्वपूर्ण किरदार निभाते दिखाई देंगे ।
फ़िल्म की कहानी की बात की जाए तो इस कहानी में अपराध है, सेक्स है, मर्डर है और फिर चेंजिंग थ्रिल भी है । ऐसे में युवा वर्ग अपने आपको जब इससे रिलेट करने लगे तो और क्या चाहिए । फ़िल्म हर फ्रेम में एक नई शैली के साथ नई पीढ़ी के दर्शकों के मनोरंजन के लिए ध्यान में रखकर बनाई गई है । इसलिए बहुत सारे लॉजिक लेकर थियेटर में यह फ़िल्म देखने ना जाएं । फ़िल्म में आज की तारीख़ में हो रहे दुनियाभर में पैटर्नल मर्डर मिस्ट्री को भी बेहद क्रूरता के साथ दिखाया गया है । इसको जब आप थियेटर में देखोगे तभी समझ मे आएगा। फ़िल्म के तकनीकी पक्ष में निर्देशन बढ़ियां है । एक युवा निर्देशक ने अपनी समग्र ऊर्जा और क्षमता के साथ ईमानदारी से मेहनत किया है । कैमरा एंगल का बेहतर इस्तेमाल इस फ़िल्म की सुंदरता को अच्छी रफ़्तार से आगे बढाने में सहायक सिद्ध हो रहा है । फ़िल्म का बैकग्राउंड स्कोर भी अच्छा बन पड़ा है, बस कहीं कहीं लाउडनेस थोड़ा अधिक सुनाई पड़ा ।
फिल्म परस्त्री को संगीतबद्ध किया है केके ब्रदर्स ने, जिन्हें सुरों से सजाया है कुणाल गांजावाला, अमित मिश्रा और सोनल प्रधान ने । फिल्म के संगीत को B4U म्यूजिक द्वारा जारी किया गया है । फ़िल्म परस्त्री के गीत संगीत गाना ठीक-ठाक है लम्बे वक्त तक उसको याद किया जा सकता है । आज के जेनरेशन के हिंसाब से यह एक बेहतरीन फ़िल्म है।
Mumbai, India (30 June 2023) : Renowned Indian actor Kabbir is set to mesmerize audiences once again with his exceptional talent as he takes on the lead role in the highly anticipated film "ChidaAtma." Produce by raha films and written by Kabbir himself, this captivating movie promises to be a compelling cinematic experience. With an illustrious career spanning across successful Bollywood films and notable television serials, Kabbir has established himself as a versatile performer with a dedicated fan base. Known for his ability to bring depth and authenticity to his characters, Kabbir's involvement in "ChidaAtma" ensures a captivating and memorable portrayal of the character Shiva.
Produce by raha films vision combined with Kabbir's inherent talent and powerful screen presence promises to create a thought-provoking narrative that will leave a lasting impact on the audience. Kabbir's extensive experience in both films and television has solidified his position as a sought-after actor, renowned for his versatility and passion for storytelling. In addition to his acting prowess, Kabbir has also made significant contributions to the theater scene in Mumbai and Delhi. His participation in various plays, such as "Taj Mahal Ka Tender," "Abhinay Se Satay Tak," "The Bank Manager," and "Phandi," has showcased his range and depth as a performer, further enhancing his reputation as a well-rounded artist.
As "ChidaAtma" enters production, anticipation among fans and industry insiders continues to grow, eager to witness Kabbir captivating performance and the compelling narrative crafted by his own writing. With his unparalleled dedication to his craft and his ability to connect with audiences, Kabbir is poised to leave an indelible mark on the entertainment industry for years to come.
मुंबई, भारत (30 जून 2023) : यश एन्ड राज एंटरटेनमेंट के बैनर तले बन रही भोजपुरी फ़िल्म नीलकण्ठ की शूटिंग रवि यादव ने उत्तरप्रदेश में मुहूर्त के साथ ही शुरू कर दिया है । फ़िल्म में चम्बल बॉय रवि यादव व अभिनेत्री आँचल पाण्डेय की मुख्य भूमिका है । अभिनेत्री आँचल पांडेय की यह पहली भोजपुरी फ़िल्म है। इसके पहले उन्होंने अन्य भाषाओं की फिल्मों में काम किया है । अब वे फिल्म नीलकण्ठ के साथ भोजपुरी फिल्मों में अपने सफर की शुरुआत कर रही हैं। फ़िल्म नीलकण्ठ एक बड़े बजट की भोजपुरी फ़िल्म है जिसकी शूटिंग उत्तरप्रदेश में ही विभिन्न लोकेशन्स पर लगभग 40 से 45 दिनों तक चलेगी । इस फ़िल्म में अभिनेता रवि यादव ने तीन तरह के अलग अलग क़िरदार प्ले किये हैं । इस बारे में बात करते हुए रवि यादव ने बताया कि तीन तरह के किरदार एक ही फ़िल्म में निभाना अपनेआप में बहुत बड़ा चैलेंज है । इसके पहले भी रवि यादव कई फिल्मों का हिस्सा रह चुके हैं ।
फिल्म के निर्माता राकेश सिंह ने बताया अच्छी फिल्मे बनाने से भोजपुरी समाज मे शुधार होगा और इस फिल्म का फोटो और पोस्टर एक साथ शूटिंग पूरा होने के बाद आउट किया जायेगा । तब तक दर्शक खुद ही अनुमान लगाये कि नीलकंठ कैसी फिल्म बन रही है।
नीलकण्ठ की शूटिंग के बारे में बात करते हुए रवि यादव बेहद उत्साहित हो जाते हैं। वो कहते हैं कि विगत 10 सालों के संघर्ष के बाद जाकर आज उन्हें उनके मेहनत का फल नीलकण्ठ के रूप में मिला है । इस फ़िल्म के बजट के बारे में उन्होंने कहा कि फ़िल्म में लगभग 3 से 4 करोड़ का बज़ट लगने वाला है, जो कि अपनेआप में एक बहुत बड़ा बजट है । इसके अलावा रवि यादव कि फिल्में आग और सुहाग, सपनों का सफर, रुद्रदेव भी रिलीज़ के लिए तैयार हैं जिन्हें शीघ्र ही रिलीज़ किया जाएगा । फ़िल्म नीलकण्ठ के निर्माता हैं यश एन्ड राज एंटरटेनमेंट के राकेश सिंह । इस फ़िल्म का निर्देशन कर रहे हैं रामधीन चौधरी, फाइट मास्टर हैं दिलीप यादव, नृत्य निर्देशक है विवेक थापा, फ़िल्म नीलकण्ठ के प्रचार प्रसार का जिम्मा संजय भूषण पटियाला का है ।
HONG KONG SAR - Media OutReach - 26 June 2023 - The global economy has faced a series of extreme shocks over recent years, ranging from the COVID-19 pandemic to the U.S.-China trade war and Russia's invasion of Ukraine. These dramatic changes have had far-reaching effects on globalisation, leading to a fundamental reversal of multilateral trade openness and the disruption of the status quo in global supply chains.
The global economy has faced a series of extreme shocks over recent years, leading to the disruption of the status quo in global supply chains. Traditionally, the tradeoff in global supply chains is cost efficiency (such as in China) and risk concentration. Increasingly, companies and governments are calling into question the sourcing strategies that have dominated supply-chain management for decades. After the trade war and COVID, global supply chain risk, especially geopolitical risk, has become a recognized issue. New trends such as geo-economic regionalisation of supply chains, sourcing consolidation back home or among close trading partners, and facility establishments clustered around the final end-user market, have begun to emerge, as globalised manufacturing comes under intense pressure and supply chain risk – especially tail risk from unforeseen events – becomes increasingly recognised as an issue.
The Restructuring of Global Supply Chains
Traditionally, supply chain globalisation has offered firms the advantage of cost savings, and access to materials or production capabilities that may not be available domestically. However, the COVID-19 pandemic and U.S.-China Trade War have highlighted the vulnerability of global supply chains and how they expose firms to operational risk and potentially unfavourable economic or political developments in countries where their partner firms are located. As a result, the restructuring of global supply chains has been taking place across industries and geographies, with firms considering multiple trade-offs, incentives, and constraints.
So how should firms adapt their supply chains to maximise returns, minimise risk and improve resilience in the face of sudden or long-term interruptions? What trends do they need to be aware of as they build their networks in the new global economic order that is emerging? Moreover, what will the supply chains of the future look like? In this CUHK Business School Research White Paper, we review a raft of studies that provide some early answers to these questions and may help to guide businesses through the turmoil and unpredictability that have characterised global markets following the pandemic.
An initial hint is provided by our recent study, which challenges the traditional wisdom that supply chains are linear in nature and demand shocks are amplified upstream along the chain. Our study demonstrated that today's companies operate as part of a complex supply network, with each player having multiple customers and suppliers. The network perspective brings brand new insights on analysing the supply chain opportunities and risks, compared to the traditional perspective of a linear supply chain.
The Onset of Friend-shoring and Keeping Your Friends Close
“Friend-shoring” is also a new trend that is growing and it is likely to stay with us. Another critical topic we looked at is whether supply chain links to other regions in the world expose companies to increased risk during the pandemic, or provided a valuable buffer against local disruption. To that question, we found consistent evidence that when global supply chains were disrupted during COVID-19, it significantly affected the credit risk of companies that rely on those supply chains. For example, when China was hit in the early 2020, supply chain risk increased for U.S. companies connecting with China. However, when later China resumes production and other countries around the worlds were hit by COVID-19, having China supply chains proves valuable and mitigate the risk.
Our studies also lead us to expect that, as a result of the pandemic, people and governments around the world realise the importance of local manufacturing capacity, and they will continue to support such capacity expansion through policies such as subsidies and regional trade agreements.
"Friend-shoring", which refers to the forging of economic ties with countries that share political trust and common economic systems and values, is also another new trend that is growing and it is likely to stay.
Given the rising geopolitical tensions of recent years, in another study, we looked at how American companies restructure their global supply chains in response to the trade and economic policy uncertainty. Our results suggest that supply chains can change as a result of trade policies enacted by governments and that supply chain risk can depend on whether a company generates its revenues abroad or at home. For US multinationals which generate most revenues abroad, U.S. policy uncertainty will push them to do more sourcing instead of bring manufacturing home. Of course, they will look for sourcing destinations with low policy uncertainty as well, at the same time explore new sourcing locations beyond China to diversify the concentration risk.
The reconstruction of global supply chains has become increasingly intertwined with the policies of individual states. Given this, do U.S. government suppliers adjust imports from countries that are affected by trade tensions, such as China and Russia?
Our research finds that recently, companies in the U.S. are increasingly hiring former U.S. government employees. Effectively such government connections can help companies to navigate the increasing murkiness that of the global market landscape due to rising geopolitical tensions, as well as help supply chains by offering flexibility.
The Future of Supply Chains:
Drawing on these findings, we offer four key predictions about how the reconstruction of the global supply chain will evolve over coming decades:
• Supply chain disruption will stay, especially disruption that is geopolitical in origin. Political disruption to global supply chains will increase due to intensified competition and tension in international relations.
• Western multinational companies relying on assembly manufacturing in China will pull production out of China partially. However, China will remain the world's factory for a decade or so, due to the lack of a competitive substitute, leading to the manufacturing structure of "China + N". It is worth noting the rapid rise of India as a new manufacturing hub, with the potential to challenge China.
• Regional value will weigh more in globalisation. To counter supply chain disruption, firms will take on more sourcing suppliers and supplier countries. In the long term, re-shoring, near-shoring, or even "friend-shoring" will be adopted to cut lead times and uncertainty, forming a new era of "geoeconomics fragmentation".
We predict that while the cost efficiency can be hurt during the future supply chain restructuring, this more fragmented form of supply chain globalisation will benefit innovation such as manufacturing modularisation and servitisation, as innovation usually comes from small, creative groups that function as part of a diverse network.
Ruchi Gujjar, the esteemed winner of Miss Haryana 2023, adds another feather to her cap as she receives the prestigious National Dynamic Awards (NDA) under the esteemed category of Best Actress given by actor Sunil Shetty. The NDA ceremony, presented by Mind Blowing Film Promotion, took place on 9th June 2023 at the grand venue, The Palace, Jaipur. The event witnessed the presence of renowned celebrity guests, Suniel Shetty and Malaika Arora, who added to the glamour and excitement of the evening.
Ruchi Gujjar's remarkable talent and undeniable charm have earned her recognition and accolades in the entertainment industry. Winning the National Dynamic Award for Best Actress is a testament to her exceptional skills and dedication to her craft. Her captivating performances have resonated with audiences, making her a deserving recipient of this esteemed honor.
The NDA ceremony at The Palace, Jaipur, was an extravagant affair that celebrated excellence in the entertainment industry. With the presence of industry stalwarts and esteemed guests, the event provided a platform to recognize and honor outstanding achievements. Ruchi Gujjar's success at the ceremony further solidifies her position as a rising star in the industry and sets a new benchmark for aspiring actors and actresses.
Sandip Soparrkar, the visionary founder of India Dance Week, has once again made waves in the entertainment industry with his captivating presence on the covers of two esteemed magazines, Wow Extravaganza and Spot'less. As an accomplished dancer and advocate for cultural exchange, Sandip Soparrkar continues to inspire audiences worldwide with his extraordinary talent and unwavering passion for dance.
Talking about the cover of Wow Extravaganza editor and chief Shobha Arya said “In the April edition of our magazine, Sandip Soparrkar graced the cover, captivating readers with his magnetic persona and mesmerizing dance moves. The feature highlighted Sandip being honoured as the “King of Art4Peace” in The United State of American along with his remarkable journey as a dancer, choreographer, and visionary behind India Dance Week. The article delved into his unique approach to blending Indian and international dance forms, creating a platform that celebrates diversity, fosters collaboration, and promotes the rich cultural heritage of dance.” The cover of Wow Extravaganza was shot by photographer Deepak Somalkar, clothes designed by Chhaya Gandhi, styled by Vrinda Goklani and creative directior was Sophia D’souza.
Continuing his streak of recognition, Sandip Soparrkar adorned the cover of Spot'less magazine's. Speaking about Sandip on Spot’less cover Mr. Tapas Das founder and owner of Spot’less Magazine said, “Our May edition, solidifies Sandip’s status as an influential figure in the entertainment industry. The cover showcased Sandip's dynamic personality, capturing his passion for dance and his relentless pursuit of artistic excellence. The accompanying article delved into Sandip's accomplishments as the founder of India Dance Week, shedding light on his tireless efforts to create a platform that unites dancers from different backgrounds, showcases their talent, and fosters cross-cultural understanding.”
The Spot’less cover was shot by photographer Nishant Gita Chavan, clothes by Chhaya Gandhi, Make up and hair by Bhoomi Soni and chief designer Rakhi Das. Sandip Soparrkar's appearances on these prestigious magazine covers highlight his profound impact on the world of dance and his commitment to promoting cultural exchange through artistic expression. As the founder of India Dance Week, Sandip has created a platform that not only celebrates the beauty and diversity of dance but also serves as a catalyst for social change and unity.
Sandip Soparrkar's dedication to his craft and his relentless pursuit of excellence have earned him widespread acclaim and recognition. His ability to seamlessly blend Indian and international dance forms has not only delighted audiences but has also inspired countless dancers to embrace their cultural roots while embracing global influences. As Sandip Soparrkar graces the covers of Wow Extravaganza and Spot'less magazines, he continues to break boundaries and pave the way for a more inclusive and vibrant dance community. His visionary leadership and unwavering passion for dance serve as an inspiration to aspiring artists and cultural enthusiasts alike.